Agni-5 Missile

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार की शाम को मिशन दिव्यास्त्र के लिए डीआरडीओ को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, “मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित Agni-5 Missile का पहला उड़ान परीक्षण, मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है।”

DRDO, भारतीय रक्षा मंत्रालय की रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग है, जो भारत को उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों से सजग और मजबूत बनाने का लक्ष्य रखता है। आत्मनिर्भरता और सफल स्वदेशी विकास के माध्यम से, DRDO ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भारतीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने और सामरिक प्रणालियों को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। Agni-5 Missile का पहला उड़ान परीक्षण, मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है

अग्नि और पृथ्वी शृंखला मिसाइलों के उत्पादन की खोज, हल्का लड़ाकू विमान, तेजस, बहु बैरल रॉकेट लॉन्चर, पिनाका, वायु रक्षा प्रणाली, Agni-5 Missile,आकाश रडार, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों की खोज और विकास जैसे प्रोजेक्ट्स ने भारतीय सुरक्षा और संरक्षण को सुदृढ़ बनाने और समृद्धि दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

DRDO की स्थापना 1958 में हुई थी, जब रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) और तकनीकी विकास निदेशालय (DTDP) के संयोजन से हुई थी। वर्तमान में, DRDO 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक समूह है, जो विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास कार्य कर रहा है। इनमें विमानिकी, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, मिसाइल, और अन्य क्षेत्रों के उत्पादन की विस्तृत श्रृंखला शामिल है।

Agni-5 Missile
Agni-5 Missile

Classification of Missile

Agni-5 Missile, भारत की पहली और एकमात्र इंटरकोंटिनेंटल बॉलिस्टिक मिसाइल है, जो सतह से सतह पर हमले करने की क्षमता रखती है। इसकी रेंज 5000 किलोमीटर से अधिक है, जिससे यह चीन के पूरे क्षेत्र को कवर करती है और यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों तक पहुंचती है। इसमें मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) प्रौद्योगिकी संपन्न है, जिससे यह एक साथ कई वॉरहेड को समय-समय पर लॉन्च कर सकती है, जिससे इसका लक्ष्य सूचना में अधिक सटीकता होती है। यह मिसाइल दो और आधे टन तक का वजन ले सकती है और न्यूक्लियर वारहेड को साथ में ले जा सकती है। इसकी गति मैक 24 है, जिससे यह ध्वनि की गति से 24 गुना तेजी से चलती है। Agni-5 Missile के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे इसे कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। इस समय भारत के अलावा दुनिया के सिर्फ आठ देशों के पास इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) हैं, जिनमें रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, इजराइल, ब्रिटेन, चीन और उत्तर कोरिया शामिल हैं। Agni-5 Missile का पहला सफल परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को हुआ था। उसके बाद 15 सितंबर 2013, 31 जनवरी 2015, 26 दिसंबर 2016, 18 जनवरी 2018, 3 जून 2018 और 10 दिसंबर 2018 को इसकी टेस्टिंग हुई थी। अक्टूबर 2021 में आठवीं और नौवीं टेस्टिंग 15 दिसंबर 2022 को हुई।

Agni-5 Missile Range

परीक्षण की तारीखतारीख
पहला सफल परीक्षण19 अप्रैल 2012
दूसरा परीक्षण15 सितंबर 2013
तीसरा परीक्षण31 जनवरी 2015
चौथा परीक्षण26 दिसंबर 2016
पाँचवा परीक्षण18 जनवरी 2018
छठा परीक्षण3 जून 2018
सातवां परीक्षण10 दिसंबर 2018
आठवां और नौवां परीक्षण15 दिसंबर 2022

Agni-5 Missile एक प्रभावशाली और प्रभावी इंटरकोंटिनेंटल बॉलिस्टिक मिसाइल है जो भारतीय सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान करती है। इसका प्रमुख उद्देश्य विशेष रक्षा और सुरक्षा के मामलों में भारतीयों को सुरक्षित रखना है। अग्नि-5 मिसाइल विभिन्न सेनाओं, संघर्ष क्षेत्रों, और गणराज्यों को लक्ष्य करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है, जो सीमा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण है। यह भारतीय रक्षा क्षेत्र को एक मजबूत और निर्भर आंकड़ा प्रदान करता है और विश्व समुदाय में भारत के रक्षा और सुरक्षा के भविष्य के संकेत के रूप में काम करता है।
अग्नि-5 मिसाइल भारतीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रभावी हथियार है। इसका मुख्य उद्देश्य विशेष रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की सशक्तिकरण करना है। यह मिसाइल विभिन्न रक्षा क्षेत्रों, सेना कैंपों, और अवस्थाओं को लक्ष्य करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है, जो कि भारत की सीमा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस मिसाइल का उपयोग भारतीय सशस्त्र बलों को अधिक प्रभावी बनाने और विपक्षी शक्तियों के खिलाफ निरोधन के लिए किया जाता है। अग्नि-5 की उच्च रेंज, लक्ष्य सटीकता, और तेजी भारत को रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका खेलने में मदद करती है। इसके माध्यम से, भारत अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत बनाता है और अपने विरुद्ध जोखिमों का सामना करता है।

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