Marcos Commando(मार्कोस कमांडो)

  • कौन है मार्कोस कमांडो
  • कैसे चुनते है मार्कोस कमांडो को
  • किस तरह के मिशन को अंजाम देते हैं मार्कोस कमाण्डो
  • क्यों चर्चे में है मार्कोस कमांडो

कौन है मार्कोस कमांडो (Who is Marcos Commando)

Marcos Commando
Marcos Commando

1987 में भारतीय नौसेना में इलीट कमांडो फोर्स मार्कोज की स्थापना हुयी। यह सुरक्षाबल BHARAT के सबसे अग्रिम सुरक्षाबल नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी), वायुसेना की गरुड़ और थलसेना की पैरा स्पेशल फोर्स की तर्ज केआधार पर ही गठित किया गया था। Marcos Commando या Marine Commando Force नौसेना के उन सैनिकों से बना बल है, जिनकी ट्रेनिंग बेहद खतरनाक और सबसे कठिन होती है।(मार्कोज मतलब मगरमच्छ) मार्कोज के काम करने का तरीका बिल्कुल अमेरिका की इलीट नेवी सील्स जैसा है, जिसने समुद्र में पाइरेसी की कई कोशिशों को नाकाम किया है।

कैसे चुनते है मार्कोस कमांडो को(How to choose Marcos Commando)

पहला चरण

इस इलीट commando force में चयन इतना आसान नहीं होता है। इस इलीट commando force में भारतीय नौसेना में काम कर रहे उन जवानो को लिया जाता है, जो अपने आप को बुरी से बुरी हालत में भी साबित कर चुके हैं। कहा जाता है की चयन के समय जवानों की पहचान के लिए जो टेस्ट होते हैं, 80% से ज्यादा जवान उसी दौरान बाहर हो जाते हैं। इसके बाद Marcos Commando का दूसरा चरण आता है।

दूसरा चरण

दूसरे चरण में Marcos Commando का 70दिनों का परिक्षण होता है, जिसे इनिशियल क्वालिफिकेशन परिक्षण के नाम से जानते हैं। इस ट्रेनिंग में रात जागने, कई दिनों तक भूखे रहकर अभियान में जुटे रहने लायक ताकत हासिल करने का प्रशिक्षण मिलता है। सैनिकों को लगातार कई दिनों तक महज दो-तीन घंटों की नींद लेते हुए काम करना पड़ता है। इसे पार करने वाले 20% लोगों में से अधिकतर इस परीक्षण में असफल हो जाते हैं। और जो बचते हैं, उनकी आगे और खतरनाक ट्रेनिंग होती है।

तीसरा चरण

इन दोनों चरणों के बाद Marcos Commando को Advance ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग लगभग 3 साल तक चलती है। इस ट्रेनिंग के समय जवानों को हथियार, खाने पीने के बोझ के साथ पहाड़ को चढ़ने की ट्रेनिंग, आसमान, जमीन और पानी में दुश्मनों को नस्तनाबूत करने का प्रशिक्षण और दलदल जैसे स्थानों पर भागने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

चौथा चरण

चौथे चरण में Marcos Commando अत्याधुनिक हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा उन्हें तलवारबाजी और धनुष-बाण जैसे पारंपरिक हथियारों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। मार्कोज कमांडो को कठिन से कठिन परिस्थिति में भी केंद्रित रहना सिखाया जाता है। इन जवानों को टॉर्चर झेलने से लेकर साथी नौसैनिकों की मौत के दौरान मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए मानसिक रूप से भी मजबूत बनाया जाता है।

चौथे चरण में मार्कोस कमांडो को सबसे कठिन प्रशिक्षण दिया जाता है ,जिसे हाहो और हालो ट्रेनिंग के नाम से जाना जाता है। हालो में मार्कोस कमांडो को करीब 11 Km की ऊंचाई से छलांग लगाना होता है। वहीं, हाहो में 8 Km की ऊंचाई से छलांग लगाना होता हैं। ट्रेनिंग के दौरान Marcos Commando को कूद से 8 सेकंड बाद पैराशूट खोलना होता है।

किस तरह के मिशन को अंजाम देते हैं मार्कोस कमाण्डो(What kind of missions do Marcos commando perform)

Marcos commando mission
Marcos commando mission

नौसेना की इस टुकड़ी अर्थात Marcos commando का उद्देश्य कांउटर टेररिज्म, किसी भी स्थान का खास निरीक्षण, अनकंवेंशनल वॉरफेयर जैसे केमिकल-बायोलॉजिकल अटैक, जवानों को सुरक्षित रखना और ऐसे ही तमाम खतरनाक कामो को अंजाम देना है। समुद्री घुसपैठ और हवाई जहाज की हाईजैकिंग तक के लिए Marcos commando प्रशिक्षित जाते हैं। इस फोर्स की सबसे खतरनाक बात होती इनकी पहचान अर्थात नौसेना के आम ऑपरेशन के अतिरिक्त ये जवान अपनी पहचान को गुप्त रखते हैं

Marcos Commando का नारा है- द फ्यू, द फियरलेस है। इस इलीट फोर्स के नाम ऑपरेशन कैक्टस, लीच, पवन और चक्रवात के खतरों से निपटने की कई उपलब्धियां हैं।

क्यों चर्चे में है मार्कोस कमांडो(Why is Marcos Commando in the news)

3 महीने पहले अदन की खाड़ी में हाईजैक हुए जहाज MV रुएन को बचाने का ऑपरेशन Marcos Commando ने किया था। जहाज को सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने अगवा किया था। ऑपरेशन भारत के समुद्री तट से 2800 किलोमीटर दूर चलाया गया था। भारतीय नौसेना के स्पेशल Marcos Commando ने भारत की जमीन से सैकड़ों किमी की दूरी पर सोमालियाई समुद्री लुटेरों के खिलाफ मोर्चा चलाकर भारत को गौरवान्वित किया है

अमेरिका ने भी भारत के Marcos Commando की जमकर तारीफ की है। इस बीच अमेरिकी मीडिया में भी भारतीय नौसेना की कार्रवाई की जमकर चर्चा हो रही है।

अदन की खाड़ी में Marcos Commando के द्वारा बुल्गारिया के जहाज को बचाने के बाद वहां के राष्ट्रपति का बयान सामने आया है। बुल्गारिया के प्रेसिडेंट रुमेन रादेव ने Marcos Commando द्वारा किये गए रेस्क्यू मिशन के लिए PM मोदी और नौसेना को धन्यवाद किया। जहाज में मौजूद क्रू सदस्यों में बुल्गारिया के 7 नागरिक थे।

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