लद्दाक में ‘पूर्ण राज्य’ की मांग को लेकर Sonam Wangchuk और हजारों लोगों ने कड़कड़ाती ठण्ड में विरोध प्रदर्शन किया है, इन्होने अपनी मांग को सरकार तक पहुंचाने के लिए जमा देने वाली ठण्ड में भी लेह के मुख्य शहर में मार्च और नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं।
- इनकी मुख्य मांगे
- लद्दाक के लोगो ने क्या कहा है
- Sonam Wangchuk ने क्या कहा है
- लद्दाक के लोगो को कैसे मिलेगी
- Sonam Wangchuk ने बताया कि उत्तर से कैसे जमीन पर कब्ज़ा कर रहा है चीन
Sonam Wangchuk की मुख्य मांगें
लद्दाक को 6th अनुसूची में शामिल किया जाय
लद्दाक को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाय
लद्दाक के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग बनाया जाय
लोकसभा में सीट की संख्या एक से बढाकर दो की जाय
राजसभा में भी प्रतिनिधित्व की मांग
लद्दाक के लोगो ने क्या कहा
केंद्र सरकार ने पहले ही लद्दाख के लोगों की मांगों को लेकर गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है, लद्दाख के लोगों का मानना है कि वे केंद्रशासित प्रदेश में एक अंतहीन नौकरशाही शासन के दबाव में नहीं रह सकते हैं। उन्हें लद्दाक को एक पूर्ण राज्य का दर्जा चाहिए, जहां पर वे स्वतन्त्र होकर अपने प्रतिनिधियों को चुन सके। दिसंबर 2023 में, केंद्र सरकार ने लद्दाख में अपनी प्रथम बैठक की और लेह और कारगिल के दोनों निकायों से अपनी मांगें को प्रस्तुत करने के लिए कहा था और तत्पश्चात सरकार ने बातचीत के लिए एक समिति भी बनायीं थी। 19 से 23 फरवरी तक बातचीत का प्रथम दौर चला था। इसके बाद 4 मार्च को एक बार फिर बातचीत हुयी, परन्तु कोई सहमति नहीं बन पायी। इन सबके चलते सामाजिक और जलवायु कार्यकर्ता (मैग्सेसे पुरस्कार विजेता) सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल 15वें दिन में प्रवेश कर चुकी थी, जिसमें लद्दाख को राज्य और विशेष दर्जा देने की मांग की गई थी। कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने एकजुटता दिखाते हुए बुधवार मार्च 20 को आधे दिन की हड़ताल का आह्वान किया था।
Sonam Wangchuk ने क्या कहा है
Sonam Wangchuk ने 6 मार्च से ही इस जमा देने वाली ठंड में भूख हड़ताल चालू कर दी थी। उन्होंने कहा, “भारत सरकार को लद्दाख के पर्यावरण और आदिवासी संस्कृति की रक्षा के अपने वादों की याद दिलाने के लिए” रिले भूख हड़ताल पर बैठे लगभग 250 लोग -12 डिग्री तापमान पर भूखे सोए हैं। द ट्रिब्यून के अनुसार ।
“एक पोस्ट में Sonam Wangchuk ने लिखाहै कि” ये सरकार इंडिया को ‘लोकतंत्र की जननी’ कहती है। लेकिन अगर भारत लद्दाख के लोगों को लोकतांत्रिक अधिकारों से दूर करता है और इसे नई दिल्ली से नियंत्रित नौकरशाहों के अधीन रखना चाहता है तो इसे केवल लद्दाख के संबंध में लोकतंत्र की सौतेली माँ ही कहा जा सकता है।
लद्दाक के लोगो को कैसे मिलेगी सुरक्षा
“लद्दाक के लोगो को कैसे मिलेगी सुरक्षा” इस बात का मतलब कुल मिलाकर यह है कि अगर लद्दाख में अनुच्छेद 371 लागू होता है तो जाहिर है कि स्थानीय हितों को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय नौकरियों में स्थानीय लोगों अर्थात लद्दाक के लोगो को भी 80 फीसदी तक आरक्षण देने तक का प्रावधान लागू किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने क्षेत्र के विकास के लिए अलग से बजट का प्रावधान कर सकेगी, इसके जरिए केंद्र सरकार लद्दाख की संस्कृति, भाषा और भूमि के साथ ही स्थानीय परंपराओं को भी संरक्षण प्रदान कर सकेगी।
धारा 371 पूरे राज्य में लागू नहीं किया जाता है, बल्कि यह जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर ही लागू किया जाता है, जिससे वहां के पर्यावरण या फिर जनजातीय या संस्कृतियों को संरक्षण दिया जाये।
Sonam Wangchuk ने बताया कि उत्तर से कैसे जमीन पर कब्ज़ा कर रहा है चीन
Sonam Wangchuk ने बताया कि इसके अलावा हम अपने मार्च के दौरान उन क्षेत्रों, प्रमुख चारागाह भूमि को भी दिखाएंगे, जिन्हें सौर पार्क में बदला जा रहा है लोग कॉरपोरेट्स के हाथों अपनी जमीन खो रहे हैं।
Sonam Wangchuk ने बताया कि यहां के लोग करीब 1,50,000 वर्ग किमी मुख्य चारागाह भूमि खो चुके हैं। उत्तर से चीन अतिक्रमण कर रहा है, चीनियों ने पिछले कुछ वर्षों में भूमि के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। कुछ लोगों ने बताया कि सीमा विवाद के कारण पूर्वी लद्दाख के कुल 65 पैट्रोलिंग पॉइंट में से कम से कम 26 पॉइंट पर गश्त नहीं की जा रही है।