दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिको ने एक “Artificial Sun” बनाया है, इस Artificial Sun का तापमान सूर्य के कोर के तापमान से 7 गुना ज्यादा है दक्षिण कोरिया ने कृत्रिम सूर्य के द्वारा 48 सेकण्ड तक 10 करोंड डिग्री सेल्सियस तापमान का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।
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Artificial Sun South Korea(दक्षिण कोरिया का कृत्रिम सूर्य)
दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर फ्यूजन तकनीक में एक अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। उन्होंने सबसे अधिक समय तक 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान को बनाए रखने का नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। Artificial Sun का तापमान सूर्य के कोर से सात गुना अधिक है। इसके अनुसार, 48 सेकंड तक यह तापमान बनाया गया था। इस सफलता से स्पष्ट होता है कि न्यूक्लियर फ्यूजन तकनीक भविष्य के ऊर्जा स्रोत के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है।
How is artificial sun created(कृत्रिम सूर्य कैसे बनता है)
वैज्ञानिक आम तौर पर टोकामक नामक डोनट के आकार के रिएक्टर का उपयोग करते हैं जिसमें प्लाज्मा बनाने के लिए हाइड्रोजन वेरिएंट को असाधारण उच्च तापमान तक गर्म किया जाता है। परमाणु संलयन रिएक्टरों के भविष्य के लिए उच्च तापमान और उच्च घनत्व प्लाज़्मा महत्वपूर्ण हैं। इसे Artificial Sun कहा जाता है क्योंकि यह वहां होने वाली संलयन प्रतिक्रिया की नकल करता है और भारी मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित करता है।
Why are scientists making fake sun(क्यों नकली सूरज बना रहे वैज्ञानिक)
वर्तमान में पारंपरिक न्यूक्लियर प्लांट विखंडन से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। अर्थात परमाणुओं को तोड़कर। चेन रिएक्शन को शुरू करने के लिए यूरेनियम का इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसे प्लांट लगभग आधी सदी से ज्यादा समय से चल रहे हैं। 1954 में USSR ने अपना पहला परमाणु प्लांट बिजली ग्रिड से जोड़ा था। लेकिन इसके खतरे हैं, जो चेरनोबिल आपदा में देखा गया है। परमाणु विखंडन की सबसे बड़ी समस्या इससेउत्पन्न होने वाला कचरा है जो सदियों तक खतरनाक रेडियोएक्टिव लेवल को बनाए रख सकता है। इसके विपरीत न्यूक्लियर फ्यूजन या artificial sun सुरक्षित है इसके आलावा ये किसी भी प्रकार का कचरा नहीं फैलाता है।
कृत्रिम सूर्य के फायदें(Benefits of artificial sun)
- फ्यूजन रिएक्शन जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकता है। इस कारण ऊर्जा से जुड़े जियोपॉलिटिकल तनाव कम हो सकते हैं। क्योंकि फ्यूजन में काम आने वाला ईंधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। फ्यूजन एनर्जी ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन नहीं करता। इस कारण यह जलवायु परिवर्तन से निपटने और वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण बन जाता है।
- अंतरिक्ष खोज में फ्यूजन एनर्जी बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इससे मंगल ग्रह या उससे आगे के मिशन में ऊर्जा की जरुरत पड़ेगी वह इससे आसानी से उपलब्ध हो सकेगी।
- इससे दुनिया में जो ऊर्जा संकट बना हुआ है वो बिलकुल समाप्त हो जायेगा। वैज्ञानिकों का लक्ष्य कि 2026 तक कम से कम 300 सेकंड तक प्लाज्मा का तापमान 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस बनाए रखना है।
- artificial sun एक स्थिर और संगठित ऊर्जा स्रोत प्रदान कर सकता है, जो विभिन्न उपयोगों के लिए उपयुक्त है।
- artificial sun से प्राप्त ऊर्जा शुद्ध और पर्यावरण के अनुकूल होती है, जो वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करती है।
दुनिया की लगभग 10% ऊर्जा फिजन से आती है(10% of the world’s energy comes from fusion)
इस समय भारत सहित दुनिया के 50 से ज्यादा देश न्यूक्लियर फिजन एनर्जी का उपयोग कर रहे हैं। 440 रिएक्टर 10% ऊर्जा की आपूर्ति कर रहे हैं। 92 रिएक्टर के साथ अमेरिका दुनिया में न्यूक्लियर पावर का प्रोडक्शन करने वाला नंबर एक देश बन गया है। इसके न्यूक्लियर पावर प्लांट्स विश्व की 30% बिजली पैदा करते हैं।
10 साल में फ्यूजन एनर्जी होगी फायदेमंद(Fusion energy will be beneficial in 10 years)
फ्यूजन एनर्जी 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान पर उत्पन्न होती है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने भी सूर्य की तरह ही अधिक तापमान में फ्यूजन एनर्जी का उत्पादन किया था। यदि एक बार फ्यूजन एनर्जी मार्केट में आ गयी, तो हमें किसी भी रेडियोएक्टिव बायप्रोडक्ट के बिना कार्बन-फ्री इलेक्ट्रिसिटी मिल सकेगी। वर्ष 2030 के बाद, इसके द्वारा दुनिया में बिजली का उत्पादन संभव है।
कोरिया नकली सूरज क्या है?
कोरिया सुपरकंडक्टिंग टोकामक एडवांस्ड रिसर्च (KSTAR) डिवाइस का उपयोग करके, जिसे कृत्रिम सूर्य परमाणु संलयन रिएक्टर के रूप में जाना जाता था, टीम ने 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस का प्लाज्मा तापमान उत्पन्न किया। यह सूर्य की कोर से सात गुना अधिक गर्म है
कोरिया का कृत्रिम सूरज कितना गर्म था?
सीएनएन के अनुसार, टीम ने दिसंबर 2023 और फरवरी 2024 के बीच परीक्षणों के दौरान 48 सेकंड के लिए 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस का प्लाज्मा तापमान उत्पन्न किया। यह तापमान सूर्य के कोर का सात गुना है, जो कि 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है।
कौन से देश कृत्रिम सूर्य विकसित कर रहे हैं?
चीनी सरकार ने 2035 तक पहला औद्योगिक प्रोटोटाइप फ़्यूज़न रिएक्टर बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसे उसने “कृत्रिम सूर्य” करार दिया है। अधिकारियों को उम्मीद है कि 2050 तक फ़्यूज़न ऊर्जा का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो जाएगा।
विश्व का सबसे बड़ा कृत्रिम सूर्य कौन सा है?
आईटीईआर एक टोकामक मशीन है जो बड़े पैमाने पर परमाणु संलयन प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करने में सक्षम है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े “कृत्रिम सूर्य” के रूप में जाना जाता है, और इसे चीन, यूरोपीय संघ, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित किया जाता है। चीन ने 2006 में इस परियोजना में शामिल होने के लिए औपचारिक रूप से समझौते पर हस्ताक्षर किए
क्या कृत्रिम सूर्य सूर्य से अधिक गर्म है?
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन एनर्जी (केएफई) के कोरिया सुपरकंडक्टिंग टोकामक एडवांस्ड रिसर्च (केएसटीएआर) फ्यूजन रिएक्टर का तापमान सूर्य के कोर से सात गुना अधिक हो गया। सूर्य के कोर का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है।