One Nation One Election क्या है ?
वर्तमान समय में भारत में राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। One Nation One Election का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। अर्थात मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन में, एक ही समय पर चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गई। तत्पश्चात 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस कारण से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई। One Nation One Election पर विचार के लिए बनाई गई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने गुरुवार (14 मार्च) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। यह लगभग 18,626 पन्नों की है। इसमें यह बताया गया है कि पैनल का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। यह रिपोर्ट स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च का परिणाम है।
One Nation One Election की कमेटी की बैठक और काम
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की उपस्थित में 8 मेंबर की कमेटी बीते वर्ष 2 सितंबर 2023 को बनी थी। One Nation One Election की प्रथम बैठक दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में 23 सितंबर 2023 को हुई थी। इसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद को मिलाकर 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं। इस समित का प्रमुख कार्य (1 )संविधान और अन्य क़ानूनी ढाँचे के तहत लोकसभा, विधानसभा, नगरपालिका और पंचायतों के चुनाव साथ करने की सम्भावना तलाशना। (२)एक साथ चुनाव का फ्रेमवर्क देना, अगर एक साथ चुनाव नहीं हो सकता तो ऐसा करने के लिए चरणों और समय सीमा का सुझाव और अन्य सिफारिशें करना। (3 )चुनाव के बाद अगर सदन त्रिशुंक हो, दल बदल हो या फिर अविश्वास प्रस्ताव के कारण कोई स्थिति बने तो उसके लिए समाधान की तलाश करना। (3 )पंचायत से लेकर लोकसभा चुनाव तक के लिए अकाल वोटर लिस्ट और वोटर आईडी को बनाये जाने की सिफारिश करना।(4 )एक साथ चनाव करने के लिए EVM, VVPET, मैन पावर सहित अन्य जरूरतों का आकलन करना।(4 )एक साथ चुनाव शुरू होने के बाद यह चक्र न टूटे इसके लिए जरुरी संविधान संसोधनो की तलाश करना।
One Nation One Election से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
(1)आगे क्या होगा-
रिपोर्ट लोकसभा चुनाव के बाद कैबिनेट के सामने रखी जाएगी। कैबिनेट के फैसले के अनुसार कानून मंत्रालय संविधान में वह नए खंड जोड़ेगा, जिसकी सिफारिश विधि आयोग ने की है, ताकि चुनाव एक साथ हो सकें। इसे संसद के दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत के साथ पारित कराया जाएगा और राज्य विधानसभाओं से भी प्रस्ताव पारित करने की सिफारिश की जाएगी। इसके बाद तीन चरणों में 2029 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ सुनिश्चित किए जायेंगे।
(2)किस देश से क्या लिया गया है –
कोंविद पैनल One Nation One Election पर रिपोर्ट तैयार करने से पहले 7 देशों की चुनाव प्रक्रिया पर स्टडी की। इनमें दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, स्वीडन, बेल्जियम, जापान, इंडोनेशिया, फिलीपींस शामिल हैं। कोविंद पैनल के मुताबिक एकसाथ चुनाव के लिए अन्य देशों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया। जिसका उद्देश्य चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए सबसे बेहतर अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं की स्टडी और उन्हें अपनाना था।
दक्षिण अफ्रीका– दक्षिण अफ्रीका में Water national असेंबली और प्रॉविन्शियल लेजिस्लेचर दोनों के लिए एक साथ ही वोट की जाती है। जबकि, नगरपालिका चुनाव, प्रांतीय चुनाव से अलग होते हैं। 29 May को दक्षिण अफ्रीका में नई नेशनल असेंबली के साथ-साथ हर प्रॉविन्स के लिए प्रांतीय विधानमंडल के चुनाव होंगे।
स्वीडन– ये देश आनुपातिक चुनावी प्रणाली अपनाता है। यानी राजनीतिक दलों को उनके वोटों के आधार पर निर्वाचित विधानसभा में सीटें सौंपी जाती हैं। उनके पास एक ऐसी प्रणाली है जहां संसद (रिक्सडैग), काउंटी और नगर परिषदों के लिए चुनाव एक ही समय में होते हैं। हर चार साल में, सितंबर के दूसरे रविवार को, चुनाव होते हैं। इसके साथ ही, हर पांच साल में एक बार, सितंबर के दूसरे रविवार को, नगरपालिका विधानसभाओं के चुनाव होते हैं।
जर्मनी/जापान– समिति के सदस्य सुभाष सी कश्यप ने बुंडेस्टाग द्वारा चांसलर की नियुक्ति की प्रक्रिया के अलावा अविश्वास के रचनात्मक वोट के जर्मन मॉडल का समर्थन किया। उन्होंने जापान की चुनाव प्रक्रिया का समर्थन किया। वहाँ प्रधानमंत्री को पहले नेशनल डाइट चुनती है। फिर, उसके बाद सम्राट मुहर लगाता है। उन्होंने जर्मन या जापानी मॉडल के समान एक मॉडल को समर्थन दिया।
इंडोनेशिया– 2019 से एकसाथ चुनाव करा रहा है। यहां राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति दोनों एक ही दिन चुने जाते हैं। “मतदाता गुप्त मतदान करते हैं और डुप्लिकेट मतदान को रोकने के लिए अपनी उंगलियों को अमिट स्याही में डुबोते हैं। 14 फरवरी 2024 को इंडोनेशिया ने एक साथ चुनाव कराए। इसे संसार का सबसे बड़ा एक दिवसीय चुनाव कहा जा रहा है क्योकि अब तक लगभग 200 मिलियन लोगों ने सभी पांच स्तरों-उपराष्ट्रपति, संसद सदस्य,राष्ट्रपति, क्षेत्रीय और नगर निगम के सदस्यों ने वोटिंग की थी।
(3)विरोध में शामिल दल/व्यक्ति –
One Nation One Election के विरोध में राजनीतिक दल ही नहीं, हाईकोर्ट के पूर्व जज भी शामिल हैं। कोविंद कमेटी ने जो रिपोर्ट दी है उसमें यह भी बताया है कि किस-किस ने इसका विरोध किया है। 15 राजनीतिक दलों के अलावा 3 रिटायर्ड हाईकोर्ट के जजों के अलावा और एक पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त भी शामिल थे।इनमें दिल्ली HC के पूर्व चीफ जस्टिस अजीत प्रकाश शाह, कलकत्ता HC के पूर्व चीफ जस्टिस गिरीश चंद्र गुप्ता और मद्रास HC के पूर्व चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी का नाम शामिल है। उनके साथ-साथ, तमिलनाडु के चुनाव आयुक्त वी पलानीकुमार ने भी एक देश एक चुनाव का विरोध किया। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के सभी चार रिटायर CJI जस्टिस (दीपक,रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविन्द बोबडे, जस्टिस यूयू ललित) एक साथ चुनाव पक्ष में थे
One Nation One Election के फायदे
(1)पैसों की बर्बादी से बचना –
One Nation One Election के लागू होने से देश में हर साल होने वाले चुनावो में खर्च होने वाली भरी धनराशि जा सकता है, 1951-1952 लोकसभा चुनाव में 11 करोड़ रूपये खर्च हुए थे जबकि 2019 लोकसभा में 60 हजार करोंड़ की धनराशि खर्च हुयी थी प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि इसके लागू होने से देश के संसाधन बचेंगे और विकास की धीमी नहीं पड़ेगी।
(2)काले धन पर लगेगी लगाम –
One Nation One Election के पक्ष में एक तर्क यह भी है कि इसके लागू होने से काले धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। क्योकि चुनाव के समय ऐसा अक्सर सुनने को अवश्य मिलता है कि राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों पर ब्लैक मनी के इस्तेमाल का आरोप है। लेकिन बताया जा रहा कि इसके लागू होने से इस समस्या से छुटकारा मिलेगा।
(3)बार-बार चुनाव करने के झंझट से छुटकारा –
One Nation One Election के समर्थन के पीछे एक तर्क ये भी है कि भारत जैसे विशाल देश में हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते ही रहते हैं। इन चुनावों के आयोजन में पूरी की पूरी स्टेट मशीनरी और संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसके लागू होने से चुनावों की बार-बार की तैयारी से छुटकारा मिल जाएगा। पूरे देश में चुनावों के लिए एक ही वोटर लिस्ट होगी, जिससे सरकार के विकास कार्यों में जरा सी भी रुकावट नहीं आएगी।